कविता संग्रह >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
|
7 पाठकों को प्रिय 26 पाठक हैं |
आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
राजस्थान
हे प्रिये राजस्थानस्वीकार करो तुम
मेरा शत-शत प्रणाम।
आपकी भूमि है प्यारी
निवास है पशु-पक्षियों का
खिली है क्यारी-क्यारी
करता हूं विनती प्रभू से
हमेशा फुले-फले ये धरती
हो जाए ये हरी भरी
हर गांव हो जाए आबाद।
हे प्रिये राजस्थान
स्वीकार करो तुम
मेरा शत-शत प्रणाम।
ऐसी प्यारी भूमि आपकी
जो किसी के बिछुडऩे की
याद आज है दिलाती
आपकी स्नेह परिपूर्ण भूमि
चढ़ाता हूं मस्तक पर धूली
मिले तुम्हारा प्रेम मुझे
जिसकी सीमा हो अपार।
हे प्रिये राजस्थान
स्वीकार करो तुम
मेरा शत-शत प्रणाम।
0 0 0
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book