कविता संग्रह >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
गर्मी
तन ये सारा फूंक दियामन मेरा झकझोर दिया
गिराकर ऐसे सीधी गर्मी
सबकुछ तूने झुलसा दिया।
खिलने वाला प्रसून बाग में
अधखिला सा रहने लगा
मीठा बोलने वाला पंछी
कर्कश वाणी में चहकने लगा।
कंठ सूखा है सभी का
जलाशयों को तूने जला दिया।
गिराकर ऐसे सीधी गर्मी
सबकुछ तूने झुलसा दिया।
पेड़ों की शीतल छाया भी
रहने लगी है गर्म भी
पत्ते सूख कर गिरने लगे
उड़ते हैं बन कर चिट्ठी।
इतनी गर्म हवाओं ने
जीना दुभर है कर दिया।
गिराकर ऐसे सीधी गर्मी
सबकुछ तूने झुलसा दिया।
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