कविता संग्रह >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
चलो उठो जागो
सुबह की चांदनीठिठुरती रात में
पक्षियों की चहचहाहट
हमें कुछ सिखाती है।
चलो उठो.....
ओ धरा के सितारों
अब तुम जगमगाओ
बच्चे जो कि.....
भविष्य हैं देश का
चलो उठो....
तुम स्कूल को जाओ।
नारी उठ प्रात: भोर में
अपने सारे काम निपटाओ
सारे कामों से निवृत हो
अच्छा खाना तुम बनाओ
घर वालों को खिलाकर तुम
बाद में खुद भी भोजन खाओ।
ओ नर तू कब तक सोएगा
चल उठ अपने काम से जा
मेहनत और लगन से तू
मिट्टी में सोना उपजा
उड़ी हुई सोने की चिड़िया
उसे पकडक़र वापिस ला।
सोने की चिडिय़ा को तो
सोने का चुग्गा चाहिए
इसलिए ही सोने का चुग्गा
तू अपने खेतों में उगा।
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