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कविता संग्रह >> उजला सवेरा

उजला सवेरा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9605
आईएसबीएन :9781613015919

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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ

 

सिगरेट का टुकड़ा

सिगरेट का छोटा -सा टुकड़ा
सडक़ किनारे दिखाई दिया
मोटरों के  आने-जाने से
घिसटता-रिपटता हुआ वह
उनके साथ था बह रहा
मोटरों की रफ्तार ने
उसको ऐसा थपेड़ा दिया।

तभी.......
वह न जाने क्यों अचानक
मुझे दिखाई ना दिया
उसी समय कुछ दूरी पर
दिया दिखाई कुछ धुंआ ।

पास जो उसके मैं पहुंचा
वहां पड़ा था ईंधन बहुस सा
ईंधन में भक आग लगी
वह अचानक जल उठा ।

तभी मन में विचार ये आया
छोटा बड़ा कुछ नहीं है
यह वही छोटा टुकड़ा है
जिसने यह ईंधन जला दिया।

यदि होता कोई घर यहां
तो उसका क्या हसर होता
नुकसान बहुत होता यहां
इसलिए ही तो मैं कहता हूं
सिगरेट फेंको हमेशा बुझा।

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