लोगों की राय

कविता संग्रह >> उजला सवेरा

उजला सवेरा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9605
आईएसबीएन :9781613015919

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

26 पाठक हैं

आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ

 

छूना है चांद को

यदि तेरा प्यारा साथ मिले तो
छूना चाहता हूं आसमान को
लगाकर पंख शरीर से अपने
पाना चाहता हूं श्वेत चांद को।

तुम साथ मिल जाओ अगर तो
कोई चीज मुश्किल न होगी
जो दूर भागती है वह मुझ से
वो हर चीज मेरे पास में होगी

हर दिन रात ये अपनी होगी,
और भला तुम क्या चाहते हो।
लगाकर पंख शरीर से अपने
पाना चाहता हूं श्वेत चांद को।

हर जगह हर स्थान पर
तेरा मेरा ही राज रहेगा
लोग झुकेंगे सलाम करेंगे
ऐसा हमारा ये नाम होगा

फिर क्या ऐसा काम होगा
जो कभी भी पूरा ही ना हो।
लगाकर पंख शरीर से अपने
पाना चाहता हूं श्वेत चांद को।

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book