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कविता संग्रह >> उजला सवेरा

उजला सवेरा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9605
आईएसबीएन :9781613015919

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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ

 

आओ प्रिये

आज की सांझ है कितनी प्यारी
नजरें तकती है राहें तुम्हारी
आ ही जाओ मेरी प्रियतमा
धरती ने बिछाई है हरियाली।

मेघ बरसते हैं छम-छम
जो आग लगाते  है तन में
ऐसी सुन्दर वाटिका खिली है
चारों तरफ  महकी है फुलवारी।
आ ही जाओ मेरी प्रियतमा
धरती ने बिछाई है हरियाली।

तेरे आने से मेरी प्रियतमा
इन पर आयेगी और बहार
महक उठेंगे फिर से फूल ये
खो चुके हैं सुगन्ध जो सारी।
आ ही जाओ मेरी प्रियतमा
धरती ने बिछाई है हरियाली।

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