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कविता संग्रह >> उजला सवेरा

उजला सवेरा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9605
आईएसबीएन :9781613015919

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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ

 

विरासत

एक गरीब की लाठी
और उसकी धरोहर
मां-बाप से मिली
विरासत....... ।

विरासत में क्या-
एक टूटी खाट,
दो-चार मिट्टी के बर्तन,
एक तिडक़ी कांसे की परात,
टूटी छितरी झोंपड़ी,
उजाला तिनकों से झांकता,
मिट्टी लूणी से गीली
तरह-तरह के कीटों से फूली,
एक जो थी आंखों की ज्योति
और आस था एक बेटा।
 
गरीबी से तंग आ ले भागी
उस कंगाल गरीब को वह
और कंगाल बना भागी
उसके विरह वियोग में
उस संवाके व्यक्ति ने
अपनी धरोहर आंखें गंवा लीं।
 
कभी सब अंगों का धनी था जो
आज कंगाल बन फिर रहा
वह एक धनी की कुल्टा पत्नी
एक कंगाल को छोड़
दूसरे अमीर ......
शराबी के साथ भागी।

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