लोगों की राय

कविता संग्रह >> यादें

यादें

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9607
आईएसबीएन :9781613015933

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

31 पाठक हैं

बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।



मैं कवि बना


मैं कवि न था,
मगर कवि बन गया।

मेरे गमों ने मेरा साथ दिया
रोते हुए कुछ पंक्तियां लिखी
और कवि बन गया।
मैं कवि न था,
मगर कवि बन गया।

मैंने जिन्हें चाहा था
उन्होंने कभी साथ न दिया
इसलिए मैं लिखने लगा।
मैं कवि न था,
मगर कवि बन गया।

गम लिपट गये दामन से मेरे
दोस्तों ने साथ छुड़ा लिया
गमों को शब्दों में ढालने लगा।
मैं कवि न था,
मगर कवि बन गया।                            

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book