कविता संग्रह >> यादें यादेंनवलपाल प्रभाकर
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बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।
सावन
रिमझिम-रिमझिम बरसे सावन
आया हरियाली तीज का मौसम।
धरती हुई रंग-बिरंगी रंगो से
कहीं पर छोटे जीव फावे से
देख जिन्हें नाचे मन खुशी से
फु हारें लाया कैसी ये मौसम।
रिमझिम-रिमझिम बरसे सावन
आया हरियाली तीज का मौसम।
ऐसे मौसम में तो बस
वो लोग सुखी हैं सब
जो एक-दुजे के हैं संग
बिछुड़ों को तडफ़ाये मौसम।
रिमझिम-रिमझिम बरसे सावन
आया हरियाली तीज का मौसम।
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