लोगों की राय

धर्म एवं दर्शन >> श्रीकृष्ण चालीसा

श्रीकृष्ण चालीसा

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :13
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9655
आईएसबीएन :9781613012192

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

440 पाठक हैं

श्रीकृष्ण चालीसा

9655_SriKrishnaChalisa_by_Gopal मुसीबतों से मुक्ति पाने एवं सभी प्रकार का वैभव और समृद्धि पाने का उपाय है, श्रीकृष्ण की आराधना। श्रीकृष्ण की आराधना और उपासना करने के लिये भक्तों, ऋषियों, मुनियों ने कई स्तुतियां की हैं, उनमें से एक है श्रीकृष्ण चालीसा। इसका नित्य पाठ कर कोई भी अपनी मनोकामनाओं को पूरा कर सकता है।

श्रीकृष्ण चालीसा


।।दोहा।।

कर मुरली तन पीत पट, गल वैजन्ती माल।।
बसो हृदय गोपाल के इस विध मदन गोपाल।।

।।चौपाई।।

जय मन मोहन श्याम मुरारे,
जय जय जय ब्रजराज दुलारे।
जय जग तारण कारण स्वामी,
जय बंशीधर अन्तर्यामी ।।1।।

जय शकटासुर अघ संहारी,
जय घनश्याम गोवर्धन धारी।
जय जसुदासुत जय नंदनंदन,
जय तेरी हो असुर निकंदन ।।2।।

Next...

प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book