लोगों की राय

धर्म एवं दर्शन >> आत्मतत्त्व

आत्मतत्त्व

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :109
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9677
आईएसबीएन :9781613013113

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

27 पाठक हैं

अत्यंत उपलब्ध और अत्यंत अनुपलब्ध तत्त्व का मर्म।


चक्रवात की तरह ही वे कुछ समय में इन पदाथों को गिराकर अन्यत्र यही कार्य पुन: करती हुई आगे बढ़ती जाती हैं। किन्तु पदार्थ के बिना शक्ति की कोई गति नहीं, इसलिए जब शरीर छूट जाता है, तब मनस्तत्व रह जाता है, जिसमें संस्कारों के रूप में प्राण कार्य करते हैं। किसी दूसरे बिन्दु पर जाकर ये पुन: नये पदार्थों का चक्र खड़ा करते हैं। इस तरह ये तब तक भ्रमण करते रहते हैं, जब तक संस्काररूपी शक्तियों का पूर्णत: क्षय नहीं हो जाता। सम्पूर्ण संस्कारों के साथ जब मन का पूर्णत: क्षय हो जायगा, तब हम मुक्त हो जायँगे। इसके पहले हम बन्धन में हैं। हमारी आत्मा मन के चक्रवात से ढँकी रहती है और सोचती है कि वह एक स्थान से दूसरे स्थान में ले जायी जाती है। जब चक्रवात समाप्त हो जाता है, तब वह अपने को सर्वत्र व्याप्त पाती है। उसे तब अनुभव होता है कि वह तो स्वेच्छा से कहीं भी जा सकती है, वह पूर्णत: स्वतन्त्र है और चाहे तो अनेकानेक शरीर और मन की रचना कर सकती है। किन्तु जब तक चक्रवात की समाप्ति नहीं होती, उसे उसके साथ ही चलना पड़ेगा। हम सभी इस चक्रवात से मुक्ति के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।

मान लो कि इस कमरे में एक गेंद है। और हम सब के हाथ में एक- एक बल्ला है, सैकड़ों बार हम उसे मारते हुए इधर से उधर करते रहते हैं, जब तक कि वह कमरे से बाहर नहीं चला जाता। किस वेग से एवं किस दिशा में वह बाहर जायगा? यह इस बात पर निर्भर करेगा कि जब वह कमरे में था, तो उस पर कितनी शक्तियाँ कार्य कर रही थीं। उसके ऊपर जितनी शक्तियों का प्रयोग किया गया है, उन सब का प्रभाव उस पर पड़ेगा। हमारी मानसिक और शारीरिक क्रियाएँ ऐसे ही आघात हैं। मानव-मन वह गेंद है, जिसे आघात दिया जाता है। यह संसार मानो एक कमरा है, जिसमें मनरूपी गेंद के ऊपर हमारे नाना कार्य-कलापों का प्रभाव पड़ता है एवं इसके बाहर जाने की दिशा एवं गति इन सारी शक्तियों के ऊपर निर्भर है। इस तरह इस संसार में हम जो भी कार्य करते हैं, उन्हीं के आधार पर हमारा भविष्य जीवन निश्चित होगा। इसलिए हमारा वर्तमान जीवन हमारे विगत जीवन का परिणाम है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book