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चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682
आईएसबीएन :9781613014530

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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।


तम्बाकू एवं मद्यपान : तथ्य एवं रोकथाम

प्राय: सुनने में आता है कि कहीं पर जहरीली शराब पीनें से सैकड़ों व्यक्ति मारे गये, कई की आँखें चली गईं। वैसे भी यदि हम रात में किसी गली-कूचे में निकल जाएँ तो एक-दो व्यक्ति तो नशे में धुत्त मिल ही जायेंगे। यह कोई नई बात नहीं कह रहा हूँ कि शराब रूपी राक्षस के पंजे हमारे देश पर सदियों पहले से छाए हैं। हमारे पौराणिक ग्रन्थों में सोमरस का वर्णन अथवा मदिरा का वर्णन मिलता है।

धूम्रपान को यदि शराब का चचेरा भाई कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हाँ, अन्तर इतना जरूर है कि सिगरेट का चलन हमारे देश में अंग्रेजों के समय से हुआ। आज मद्यपान तथा धूम्रपान एक सामाजिक महामारी के रूप में विस्थापित है।

इस विषय को घिसा-पिटा मानना एक भारी भूल है। क्योंकि इसके अपशकुनी कदम हमारे देश के नौनिहालों की ओर तेजी से अग्रसर हैं। आजकल फैशन परस्ती के इस युग में अंग्रेजी शराब पीना व धूम्रपान करना एक गौरव की वस्तु मानी जाती है।

यहाँ तक कि पहले महिला सिर पर पल्लू ढाँकती थी, पर आजकल वे भी सिगरेट पीती हुए दिखाई देती हैं। मैं समझता हूँ कि नशे की बढ़ती चाल को दर्शाने के लिए उक्त तथ्य काफी हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि धूम्रपान और मदिरापान एक आनन्द की चीज है। कुछ लोग इसे उच्चवर्गीय वस्तु मानकर फैशन के रूप में गर्व से अपनाते हैं। किन्तु सच तो यह है कि कुछ समय के लिए आनन्दित कर देने वाला यह नशा जीवन भर के लिए रोगों से भरी झोली दे जाता है।

यह कहना कोई अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि एक छोटी-सी सिगरेट में 2-3 मिनिट की जिन्दगी खत्म कर देने जितनी शक्ति होती है।

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