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चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682
आईएसबीएन :9781613014530

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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।

सिगरेट और शराब के इन्हीं भयानक नशों से सारा जीवन अन्धकारमय हो जाता है। मेरा तात्पर्य यह है कि इस तरह का नशापान करने वाले लोगों का जीवन तरह-तरह की बीमारियों से त्रस्त रहता है।

इसी प्रकार शराब का एक पैग मानव जीवन को कुछ न कुछ उसी समय क्षीण कर देता है।

सिगरेट का दुष्प्रभाव इतना अधिक होता है कि केवल धूम्रपान करने वाले तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के सम्पर्क में आने वाले लोग भी इससे प्रभावित होते हैं। यहाँ तक कि कभी-कभी तो यह वंशानुगत बीमारियों का जन्मदाता भी बन जाता है।

शराब क्षण मात्र की उत्तेजना प्रदान करने वाला हानिकारक आनन्ददायी पेय है।शराब पीने से व्यक्ति को कुछ समय की उत्तेजना प्राप्त होती है, किन्तु यह उत्तेजना कुछ समय बाद समाप्त हो जाती है। फलत: शराबी व्यक्ति पूर्व उत्तेजना प्राप्त करने के लिए पुन: मद्यपान करता है और यही घटना चक्र बराबर चलता रहता है।

यहाँ शरीर पर पड़ने वाले शराब के प्रभाव के बारे में कुछ तथ्य प्रस्तुत कर रहा हूँ।

मद्यपान से हृदय के स्पंदन में वृद्धि हो जाती है, जो कि स्वास्थ्य के लिए सबसे घातक है। इसे प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया जा चुका है कि 2 औंस मद्यपान 24 घण्टे हृदय स्पंदनों में 6000 की वृद्धि करता है अर्थात् हृदय को आवश्यकता से अधिक कार्य करना पडता है यह कार्य 5 के0 जी0 के भार 1 फीट तक 1400 बार उठाने के बराबर होता है। यह ज्ञातव्य है कि एक सामान्य मनुष्य के लीवर का वजन लगभग डेढ़ के0 जी0 या ढाई के0 जी0 तक होता है। किन्तु मद्यपान करने वाले व्यक्ति के शरीर में यह फूलकर  4 के0 जी0 या उससे भी अधिक वजन का होता है और इस कारण कई प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं। मद्यपान से शरीर में रक्त की गति तीव्र हो जाने से O2 की कमी हो जाती है और इस कमी O2 की पूर्ति फेफड़े नहीं कर पाते, जिससे फेफड़ों पर असर तो पड़ता ही है, साथ ही साथ हमारे शरीर के ऊर्जा उत्पादन कार्य में भी कमी आती है व तापमान कम होता है। शराबी के किसी भी साधारण रोग की पहचान ठीक से होना सम्भव नहीं होती क्योंकि शराब के कारण नाड़ी की गति अनियमित हो जाती है।

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