स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक पौधे चमत्कारिक पौधेउमेश पाण्डे
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प्रकृति में हमारे आसपास ऐसे अनेक वृक्ष हैं जो हमारे लिए परम उपयोगी हैं। ये वृक्ष हमारे लिए ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य उपहार हैं। इस पुस्तक में कुछ अति सामान्य पौधों के विशिष्ट औषधिक, ज्योतिषीय, ताँत्रिक एवं वास्तु सम्मत सरल प्रयोगों को लिखा जा रहा है।
0 भूखण्ड की सीमा में पलाश, कंचना, श्लेषमान्तक, अर्जुन तथा करंज के वृक्ष नहीं होने चाहिये।
0 किसी भी प्रकार के मरुस्थलीय पौधे का रोपण एवं पोषण भूखण्ड की सीमा में कतई न हो। क्योंकि मरुस्थलीय अर्थात बंजर जमीन के पौधे का हरे-भरे घर में क्या काम? इसी प्रकार अन्य काँटेदार पौधे भी घर की सीमा में नहीं होने चाहिये।
ऐसे पौधों को घर में पालने पर उस घर मेँ तनाव वृद्धि होती है साथ ही आपसी सम्बन्धों में कड़वाहट रहती है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि कई लोग 'कैक्टस' को बड़े शौक से गमलों में लगाते हैं।
0 'बैर' अर्थात बेर का वृक्ष जिस घर की सीमा में लगा होता हे वहीं शत्रुता एवं शत्रुपीड़ा के दर्शन होते हैं। बेर का वृक्ष घर की सीमा के बाहर अशुभ नहीं।
0 ऐसे पौधे जिनमें किसी प्रकार का दूध संचित होता हो (इसे विज्ञान की भाषा में 'लेटेक्स' कहते हैं) जैसे कि ''आँकडा' (आर्क, श्वेतार्क, रक्तार्क आदि अन्य नाम) गृह सीमा में अशुभत्व देने वाला होता है किन्तु ये ही पौधे घर की सीमा से बाहर होने पर सुखदायी होते हैं। (स्वजनित आँकड़े को काटने के बजाय उसका नित्य पूजन करें)
0 तुलसी का पौधा घर की सीमा में शुभ होता है।
0 जो व्यक्ति ब्राह्मण हो अथवा जिनका कार्य क्षेत्र शिक्षा से सम्बन्धित हो उन्हें आँवला, पाकड़, पारस पीपल एवं गूलर के वृक्षों में से एक या अधिक का रोपण एवं पोषण अपनी गृह सीमा में अवश्य ही करना चाहिये। यह रोपण उस दिशा में हो, जिसे ऊपर शुभ कहा है।
0 वाणिज्यिक कर्मों से जुड़े हुए व्यक्ति अर्थात् व्यापारी वर्ग के व्यक्तियों को तथा वैश्यों को शिरीष, नीम एवं बिल्व वृक्षों का पालन पोषण करना चाहिये। ये भी शुभ दिशाओं में हों।
0 क्षत्रिय वर्ण के लोगों को गृह सीमा में, सब्जा (पवित्र तुलसी), सुदर्शन, महुआ, पनस और युकेलिप्टस के वृक्षों में से जो भी उपयुक्त प्रतीत हो उसका पालन करना चाहिये।
0 ब्राह्मण, वैश्य तथा क्षत्रियों के अलावा जो भी वर्ण के लोग हों उन्हें घर की सीमा में अमलतास, मौलश्री तथा पाम के वृक्षों को लगाना चाहिये।
0 किसी भी भूखण्ड की सीमा में पश्चिम दिशा की और रोपा गया एवं पोषण किया गया बिल्व वृक्ष वहीं के रहवासियों के लिए सुखदायक होता है।
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