स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक पौधे चमत्कारिक पौधेउमेश पाण्डे
|
10 पाठकों को प्रिय 201 पाठक हैं |
प्रकृति में हमारे आसपास ऐसे अनेक वृक्ष हैं जो हमारे लिए परम उपयोगी हैं। ये वृक्ष हमारे लिए ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य उपहार हैं। इस पुस्तक में कुछ अति सामान्य पौधों के विशिष्ट औषधिक, ज्योतिषीय, ताँत्रिक एवं वास्तु सम्मत सरल प्रयोगों को लिखा जा रहा है।
यह कफ नाशक, रक्तस्तम्भक, शीतवीर्य, और हृदय के लिए हितकारी है। खांसी, कामला, कफ ज्वर, श्वास, हृदयरोग, तृषारोग, अरुचि, संग्रहणी, रक्त पित्त, रक्तस्राव, पित्त, प्रमेह, त्रिदोष, वमन, कुष्ठ और सूजन आदि में अडूसा अच्छा फायदा करता है। यह पुरानी खांसी, दमा, कफ और क्षय की खांसी में खास तौर पर उपयोगी है। आयुर्वेद में क्षय और रक्त पित्त की औषधियों में वासा का बहुत अधिक व्यवहार किया जाता है।
अडूसे के प्रयोग
0 कफ को निकालने के लिए- अडूसे का रस 3 से 6 माशे तक, पीपल का चूर्ण 1 रत्ती और जवाखार 1 रत्ती लेकर सबको 3 माशे शहद में मिलाकर चटा दें। इसी प्रकार 2-2 घण्टे के अन्तर से दिन में 3-4 बार चटावें। इससे छाती का कफ निकलकर खांसी और श्वास की रुकावट दूर हो जाती है।
0 खून आता हो तो उसके लिए- अडूसे का रस 6 माशे, रसोत 1.5 माशा और शहद 3 माशे मिलाकर चटावें।
0 कफ ज्वर तथा दूसरे ज्वरों में- अडूसे का रस, तुलसी के पत्तों का रस और शहद 3-3 माशे मिलाकर चटावें।
0 श्वास-खांसी के लिए- वासा का रस 6 माशे, मक्खन 6 माशे, हल्दी का चूर्ण 1.5 माशे और शहद में 3 माशे मिलाकर खाना चाहिए।
0 श्वास, खांसी के लिए- वासे का रस 6 माशे, मक्खन 6 माशे, हल्दी का चूर्ण 1.5 माशे मिलाकर (1.5 ग्राम) खाना चाहिए।
0 श्वेत प्रदर में- वासा के 6 माशे रस में शहद मिलाकर चटाने से आराम होता है।
|