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चमत्कारिक पौधे

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :227
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9687
आईएसबीएन :9781613014554

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प्रकृति में हमारे आसपास ऐसे अनेक वृक्ष हैं जो हमारे लिए परम उपयोगी हैं। ये वृक्ष हमारे लिए ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य उपहार हैं। इस पुस्तक में कुछ अति सामान्य पौधों के विशिष्ट औषधिक, ज्योतिषीय, ताँत्रिक एवं वास्तु सम्मत सरल प्रयोगों को लिखा जा रहा है।

इलायची के औषधिक महत्त्व

एला के अनेक औषधिक महत्व हैं जिनमें से कुछ अत्यन्त सरल निरापद एव परम प्रभावी प्रयोग निम्न हैं-

0 मुख दुर्गन्ध नाशक के रूप में- मुख में 1-2 इलायची चबाते रहने से मुख दुर्गन्ध का शमन होता है।

0 पाचक के रूप में- भोजन के पश्चात्. एक पान में वांछित चूना कत्था लगाकर उस पर आवश्यक सुपारी के साथ 1 इलायची एवं एक लवंग डालकर खाने-चबाने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। यह मुख दुर्गन्ध का नाशक भी है।

0 जी घबराने की स्थिति में- जिस व्यक्ति का जी मचल रहा हो अथवा उल्टी होने की हालत बन रही हो उसे एक इलायची को भूनकर जल से निगल लेना चाहिये। ऐसा करने से उसकी समस्या दूर होती है।

0 केला पाचन हेतु- किसी व्यक्ति को केला खाने से अजीर्ण हो गया हो अथवा केला खाने पर उसका पेट भारी लगने लगा हो, उसे मात्र एक-दो इलायची खा लेनी चाहिये। ऐसा करने से उसके पेट में केलों का पाचन तुरंत हो जाता है।

0 आँव के दस्त लगने पर- आँव दस्त लगना अत्यंत कष्ट कारक होता है। इसके रोगी को अत्यधिक कमजोरी महसूस होती है। आँवदस्त के रोगी को 2 इलायची का चूर्ण करके थोड़े से मक्खन में मिलाकर लेने से तुरंत आराम होता है। 2-3 बार इस प्रयोग को करने से बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है।

0 मूत्र विकारों में- मूत्र विकारों में विशेष रूप से मूत्रकृच्छ हो जाने पर 2-4 इलायची का चूर्ण करके इस चूर्ण को दही के पानी के साथ लेने से त्वरित आराम होता है। एक-दो बार के इस प्रयोग से पूर्ण लाभ हो जाता है।

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