लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

जगन्नाथ मिश्रा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :147
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9688
आईएसबीएन :9781613012765

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

360 पाठक हैं

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आजाद की सरल जीवनी

क्रांति का देवता-चन्द्रशेखर आजाद


वीर बालक


अलीराजपुर रियासत में एक छोटा सा घर था। जगरानी देवी अपने नवजात शिशु को गोद में लेकर सौरगृह से बाहर आईं। शिशु के पिता पंडित सीताराम तिवारी ने बालक को देखा, वह बहुत दुबला-पतला था। पंडित जी भय और आशंका से कांप उठे। इससे पहले भी उनकी कई सन्तानों ने जन्म लिया, वे थोड़े- थोड़े दिनों रहीं और उनकी गोद खाली करके चली गईं थीं।

किन्तु बालक दुर्बल होते हुए भी सुन्दर बहुत था। उसका चाँद के समान गोल और सुन्दर मुख देखकर ही उनका नाम चन्द्रशेखर रखा गया। ग्राम की स्त्रियाँ बहुधा जगरानी देवी से कहा, 'देखो' तुम्हारे लाड़ले को कहीं नजर न लग जाये! इसे सँभालकर रखा करो।''

दृष्टि से बचाने के लिए माता जगरानी देवी बालक के माथे पर काजल का टीका लगा देतीं। किन्तु इससे तो उसका मुख चमक उठता, उसकी सुन्दरता और भी अधिक बढ़ जाती थी।

बहुधा ससार में देखा गया है कि सच्चे और ईमानदार लोग निर्धन होते हैं, उन्हें बड़े-बड़े कष्टों का सामना करना पड़ता है। निर्धनता में स्वाभिमान रखना बहुत कठिन हो जाता है। किन्तु मनुष्य की असली पहचान तो ऐसे ही समय में होती है। गरीबी ही मनुष्यता की कसौटी है। जो अपनी आन के पक्के होते हैं, जिनमें उच्च आत्म-बल होता है, कठिनाइयाँ उनका कुछ भी नहीं विगाड़ पातीं। पंडित सीताराम तिवारी भी ऐसे ही स्वाभिमानी व्यक्ति थे। उन्होंने भूखे रहकर भी कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया। कभी-कभी तो बालक चन्द्रशेखर के लिए दूध का प्रबन्ध करने में मी वह असमर्थ हो जाते थे। फिर भी उन्होंने बड़े लाड़-प्यार से उसका पालन-पोषण किया।

हमारे देश के बहुत से गाँवों में लोगों की यह धारणा है, यदि बच्चे को शेर का माँस खिला दिया जाये तो बड़ा होकर वह वीर बनता है। चन्द्रशेखर को भी, उसके बचपन में, शेर का माँस खिलाया गया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book