जीवनी/आत्मकथा >> क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजादजगन्नाथ मिश्रा
|
6 पाठकों को प्रिय 360 पाठक हैं |
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आजाद की सरल जीवनी
नित्य हजारों की संख्या में नर-नारी उस अमर देवता के गुणानुवाद करते हुए उस वृक्ष को त्रिवेणी के जल से स्नान कराते थे। चन्दन, रोली और चावलों से उसकी पूजा करते, फूल मालायें चढ़ाते और आरती करते थे। चलते समय अपने आंसुओं की बूंदों से उस वीर का तर्पण भी कर जाते थे। देश के किसी कोने से जो व्यक्ति प्रयाग आता है, वह उस वृक्ष के दर्शन और अपने-अपने मतानुसार उसकी पूजा करने अवश्य जाता था।
नौकरशाही सरकार के टुकड़ाखोर अफसरों से अपने पूज्य नेता के प्रति जनता की यह भावनायें भी नहीं देखी जा सकीं। उन्होंने उस वृक्ष को ही जड़ से नष्ट करा कर, उस महान बलिदान का चिह्न भी मिटा दिया।
भले ही उन्होंने अपनी करनी में कसर नहीं छोड़ी तो क्या वे जनता के हृदय से उस वीर के प्रति श्रद्वा कभी मिटा सके? चाहे आजादी मिलने के दस वर्ष बाद ही सही, अब उसी स्थान पर जहाँ वह वृक्ष था, जनता ने चन्द्रशेखर आजाद की मूर्ति स्थापित करा दी है।
शेर की भाँति मस्तक ऊंचा किये, एक हाथ से मूंछ मरोड़ते हुए, उस पत्थर की मूर्ति की आंखो में भी आग की चिनगारियाँ निकलती प्रतीत होती हैं जो ब्रिटिश सरकार और उसकी नौकरशाही के काले कारनामों की याद दिलाता है।
|