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धर्म एवं दर्शन >> हनुमान बाहुक

हनुमान बाहुक

गोस्वामी तुलसीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :51
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9697
आईएसबीएन :9781613013496

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सभी कष्टों की पीड़ा से निवारण का मूल मंत्र


।।आरती श्री हनुमानजी की।।

आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।

जाके बल से गिरिवर काँपै ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँपै ।।

अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ।।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ।।

लंका जारि असुर संहारे ।
सियारामजी के काज संवारे ।।

लक्ष्मण मूर्च्छित पड़े सकारे ।
आनि सजीवन प्रान उबारे ।।

पैठि पताल तोरि जम-कारे ।
अहिरावन की भुजा उखारे ।।

बाईं भुजा असुर संहारे ।
दाईं भुजा संत जन तारे ।।

सुर नर मुनि आरती उतारे ।
जै जै जै हनुमान उचारे ।।

कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरति करत अंजना माई ।।

जो हनुमान जी की आरति गावै।
बसि बैकुण्ठ परमपद पावै ।।

* * *

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