व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> हौसला हौसलामधुकांत
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नि:शक्त जीवन पर लघुकथाएं
तालियाँ
नृत्यांगना कामनी का नृत्य समाप्त होने से पूर्व तालियां बजने लगी और देर
तक बजती रहीं।
इससे अधिक तालियां तब बजीं जब उदघोषक ने मंच से बताया कि कामनी ने अपने नृत्य की प्रस्तुति एक पांव से की है, क्योंकि इनका दूसरा पांव पोलियो पीड़ित है।
सबसे अधिक तालियां तब बजीं जब मंच से कामनी के लिए प्रथम पुरस्कार की घोषणा हुई।
वह बिना वैशाखियों के धीरे-धीरे चलकर मंच पर आयी- मेरे प्यारे दर्शकों, जादू हो गया जो भगवान के हाथ में था वो आपकी तालियों ने कर दिया। मेरा दूसरा पांव जमीन पर जमने लगा है... सचमुच एक कलाकार के लिए इससे बड़ा पुरस्कार, सम्मान हो ही नहीं सकता...।
फिर हाल में इतनी तालियाँ बजी की नृत्यांगना की आवाज उनमें खो गयी।
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