व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> हौसला हौसलामधुकांत
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नि:शक्त जीवन पर लघुकथाएं
अन्धा होने का सुख
संजय ने धृतराष्ट्र को बताया- राजन द्यूत क्रीड़ा में कौरवों ने धन-दौलत के
साथ-साथ द्रोपदी को भी जीत लिया और दुर्योधन अपने अपमान का बदला लेने के
लिए भरी सभा में द्रोपदी का चीर हरण करना चाहता है।
हे भगवान मेरे ही परिवार की बहू भरी सभा में निःवस्त्र होगी। संजय! अच्छा हुआ भगवान ने मुझे अन्धा बनाया अन्यथा यह सब देखकर मेरा सीना दुःख से फट जाता- कहते हुए धृतराष्ट्र दोनों हाथों से अपना माथा पकड़ कर बैठ गए।
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