व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> हौसला हौसलामधुकांत
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नि:शक्त जीवन पर लघुकथाएं
नकली नोट
कॉलेज के छात्रों को शरारत सूझी। उन्होंने अपनी कॉपी से दस रुपये के आकार
का कागज फाड़ा और सूरदास की ओर बढा दिया- बाबा दस रुपये की मूंगफली दे
दो....।
सूरदास ने कागज के नोट को उंगलियों से पहचानने का प्रयत्न किया... मुस्कराया.... और दो पैकेट मूंगफली के दे दिए।
सीट खाली पड़ी थी इसलिए सूरदास वहीं बैठ गया। राजू और उसके साथी चुपचाप मूंगफली खाने लगे।
सामने बैठा यात्री सब देख रहा था। जब उससे न रहा गया तो पूछा - बच्चों मूंगफली का स्वाद कैसा है? बच्चों ने नजरें झुका लीं।
एक बालक फुसफुसाया-जैसा चोरी के गुड़ का होता है।
फिर यात्री ने सूरदास से कुछ पूछना चाहा- सूरदास तुमको मालूम है मुझे सब मालूम है- सूरदास ने हंसते हुए कहा- बचपन में मेरा पोता भी ऐसी ही शरारत करता था........।
विद्यार्थियों की आँखें अधिक झुक गयीं।
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