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			 मूल्य रहित पुस्तकें >> संभोग से समाधि की ओर संभोग से समाधि की ओरओशो
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संभोग से समाधि की ओर...
      संभोग से समाधि की ओर
      
      जीवन-ऊर्जा रूपांतरण के विज्ञान पर ओशो द्वारा दिए गए अठारह प्रवचनों का
      संकलन
      
      'जो उस मूलस्रोत को देख लेता है...., यह बुद्ध का वचन बड़ा अद्भुत है : 'वह
      अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता है।' वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है, जो
      मनुष्यता के पार है।
      जिसको मैने 'संभोग से समाधि की ओर' कहा है, उसको ही बुद्ध अमानुषी रति कहते
      हैं।
      एक तो रति है मनुष्य की-सी और पुरुष की। क्षण भर को सुख मिलता है। मिलता
      है?-या आभास होता है कम-से-कम। फिर एक रति है, जब तुम्हारी चेतना अपने ही
      मूलस्रोत में गिर जाती है; जब तुम अपने से मिलते हो। 
      एक तो रति है-दूसरे से मिलने की। और एक रति है-अपने से मिलने की। 
      जब तुम्हारा तुमसे ही मिलना होता है, उस क्षण जो महाआनंद होता है, वही समाधि
      है।
      संभोग में समाधि की झलक है; समाधि में संभोग की पूर्णता है।
      			
						
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