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संभोग से समाधि की ओर

ओशो

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 97
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


मनुष्य की ऊर्जा को विकृत करने वाले वे लोग हैं जिन्होने मनुष्य को सेक्स के सत्य से परिचित होने में बाधा दी है। और उन्हीं लोगो के कारण ये नंगी तस्वीरें बिक रही हैं, नंगी फिल्म बिक रही हैं लोग नए क्लबों को ईजाद कर रहे हैं और गंदगी के नए-नए और बेहूदगी के नए-नए रास्ते निकाल रहे हैं।

किनके कारण? ये उनके कारण जिनको हम साधु और संन्यासी कहते हैं उन्होंने इनके बाजार का रास्ता तैयार किया है। अगर गौर से हम देखें तो वे इनके विज्ञापनदाता हैं वे इनके ऐजेंट हैं।
एक छोटी-सी कहानी, मैं अपनी बात पूरी कर दूंगा।
एक पुरोहित जा रहा था अपने चर्च की तरफ। दूर था गांव भागा हुआ चला जा रहा था। तभी उसे पास की खाई में, जंगल में एक आदमी पड़ा हुआ दिखाई पड़ा घावों से भरा हुआ। खून बह रहा है। छुरी उसकी छाती में चुभी है।
'पुरोहित को ख्याल आया कि चलूं मैं इसे उठा लूं, लेकिन उसने देखा कि चर्च पहुंचने में देर हो जाएगी और वहां उसे व्याख्यान देना है और लोगों को समझाना है। आज वह प्रेम के संबंध में ही समझाने जाता था। आज उसने विषय चुना था 'लव इज गॉड', क्राइस्ट के वचन को चुना था कि ईश्वर, परमात्मा प्रेम है। वह यही समझाने जा रहा है, लेकिन उस आदमी ने आखें खोली' और वह चिल्लाया, पुरोहित, मुझे पता है कि तू प्रेम पर बोलने जा रहा है। मैं भी आज सुनने आने वाला था, लेकिन दुष्टों ने मुझे छुरी मारकर यहां पटक दिया है। लेकिन याद रख, अगर मैं जिदा रह गया, तो गांव-भर में खबर कर दूंगा कि आदमी मर रहा था और यह आदमी प्रेम पर व्याख्यान देने चला गया था! देख, आगे मत बढ़।

इससे पुरोहित को थोड़ा डर लगा, क्योंकि अगर यह आदमी जिंदा रह जाए और गांव में खबर कर दे तो लोग कहेंगे कि प्रेम का व्याख्यान बड़ा झूठा है। आपने इस आदमी की फिक्र न की, जो मरता था। तो मजबूरी में उसे नीचे उतर कर उसके पास जाना पड़ा। वहां जाकर उसका चेहरा देखा तो बहुत घबराया। चेहरा तो पहचाना हुआ-सा मालूम पड़ता है। उसने कहा, ऐसा मालूम होता है, मैंने तुम्हें कही देखा है? और उस मरणासन्न आदमी ने कहा, जरूर देखा होगा। मैं शंतान हूं, और पादरियों से अपना पुराना नाता है। तुमने नहीं देखा होगा तो किसने मुझे देखा होगा?

तब उसे ख्याल आया कि वह तो शैतान है, चर्च में उसकी तस्वीर लटकी हुई है। उसने अपने हाथ अलग कर लिए और कहा कि मरजा। शैतान को तो हम चाहते हैं कि वह मर ही जाए। अच्छा हुआ कि तू मरजा, मैं तुझे बचाने का क्यों उपाय करूं। मैंने तेरा खून भी छू लिया, यह भी पाप हुआ। मैं जाता हूं।

वह शैतान जोर से हंसा, उसने कहा, याद रखना, जिस दिन मैं मर जाऊंगा, उस दिन तुम्हारा धंधा भी मर जाएगा। मेरे बिना तुम जिंदा भी नहीं रह सकते हो। मैं हूं, इसलिए तुम जिंदा हो। मैं तुम्हारे धंधे का आधार हूं। मुझे बचाने की कोशिश करो, नहीं तो जिस दिन शैतान मर जाएगा उसी दिन पुरोहित, पंडा, पुजारी सब मर जाएंगें; क्योकि दुनिया अच्छी हो जाएगी, पंडे, पुजारी, पुरोहित की कोई जरूरत नहीं रह जाएगी।

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