लोगों की राय

उपन्यास >> खजाने का रहस्य

खजाने का रहस्य

कन्हैयालाल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9702
आईएसबीएन :9781613013397

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

152 पाठक हैं

भारत के विभिन्न ध्वंसावशेषों, पहाड़ों व टीलों के गर्भ में अनेकों रहस्यमय खजाने दबे-छिपे पड़े हैं। इसी प्रकार के खजानों के रहस्य

सुअरों का झुण्ड जलाशय में घुस गया। पानी पिया, कुछ देर षानी में किलोल की और अपनी झाड़ी की ओर लौट लिया।

भास्कर जी ने भी माधव को अपने गन्तव्य का मार्ग पकड़ने को कहा, किन्तु माधव के मन में अभी सुअरों का कोई और जौहर देखने की लालसा बाकी थी, अत: वह बराबर सुअरों के पीछे ही अपनी जीप घुमाता रहा।

कुछ दूर चलने पर सुअरों को एक ईख का खेत नजर आ गया। उन्होंने अगला रुख खेत की ओर मोड़ दिया। खेत के चारों ओर कँटीले तार की बाड़ खिंची हुई थी। खेत में मध्य में रखवाले ने अपना मचान बनाया हुआ था। खेत में सुअरों का झुण्ड आता हुआ उसे दिखाई दे गया था। उसने मचान से ही अपनी 'गोफिन' में नुकीले पत्थर रखकर सुअरों का निशाना साधा। रखवाले का निशाना अचूक था। उसकी  'गोफिन' का पत्थर 2-3 सुअरों को चुटीला कर गया। किन्तु मगरमच्छ का शिकार करने के बाद सुअरों को शायद अहंकार हो गया था। चोट खाकर भी वे हटे नहीं और तार की आड़ के नीचे थूथन से कुरेद-कुरेद कर अन्दर जाने को मार्ग बनाने लगे।

थोड़ी देर के प्रयास के बाद ही सुअरों ने अन्दर घुसने का मार्ग बना लिया और बे इतनी तेजी से ईख के खेत में घुसे कि कँटीली सीमा- रेखा भी काफी टूटकर गिर पड़ी। यह देखकर रखवाले ने ताबड़-तोड़ गोफिन घुमा-घुमा कर सुअरों को मारना शुरू कर दिया। चोटों की परबाह किए बिना सुअर ईख का सत्यानाश करने पर पिल पड़े। गन्नों के टूटने की चटर-चटर से खेत का एक कोना बुरी तरह चरमरा उठा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book