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मंगलवार व्रत कथा

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :9
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9705
आईएसबीएन :9781613012376

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मंगलवार की व्रत कथा

मंगलवार की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।

जाके बल से गिरिवर कांपै ।
रोग-दोष जाके निकट न झांपै ।।

अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ।।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ।।

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज संवारे ।।

लक्ष्मण मूर्च्छित परे सकारे ।
लाय संजीवन प्रान उबारे ।।

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावन की भुजा उखारे ।।

बाईं भुजा असुर संहारे ।
दाईं भुजा संत जन तारे ।।

सुर नर मुनि आरती उतारें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ।।

कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरति करत अंजना माई ।।

जो हनुमान जी की आरति गावे ।
बसि बैकुण्ठ परमपद पावे ।।

* * *

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