कहानी संग्रह >> प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँकन्हैयालाल
|
1 पाठकों को प्रिय 284 पाठक हैं |
मनोरंजक और प्रेरणाप्रद बोध कथाएँ
13. हौसला
एक फौजी-सिपाही लँगड़ा था।
एक दिन उसकी टाँग को देखकर उसके साथी हँसने लगे तो उनकी हँसी-में-हँसी
मिलाता हुआ वह बोला - 'मैं कमर कसकर युद्ध करने वाला बहादुर-सिपाही हूँ,
पीठ दिखाकर भागने वाला कायर नहीं। मेरी टाँग को क्या देखते हो, टाँग तो
केवल भागने के काम आती है। समय आने पर मेरे हौसले को देखना।'
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book