लोगों की राय

कहानी संग्रह >> प्रेरक कहानियाँ

प्रेरक कहानियाँ

कन्हैयालाल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :35
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9712
आईएसबीएन :9781613012802

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

284 पाठक हैं

मनोरंजक और प्रेरणाप्रद बोध कथाएँ


3. अपनी डगर बुहार


यूनान के महान दार्शनिक सन्त डायोजिनस एक सड़क के किनारे बैठे हुए विश्राम कर रहे थे। सडक के बीचोंबीच एक बड़ा-सा पत्थर रखा था। कुछ राहगीर पत्थर से ठोकर खाकर गिर पड़ते और अपनी चोटों को सहलाते हुए आगे बढ़ जाते। कुछ राहगीर उस पत्थर से बचकर निकल जाते। तभी एक युवक आया और पत्थर से ठोकर खाकर गिर पड़ा। वह उठा, सड़क के बीच में पत्थर रखने वालों को गन्दी गालियाँ सुनाकर कोसने लगा।

यह देखकर डायोजिनस जोर से हँस पड़े तो वह युवक उन पर भी बरस पड़ा- 'आप तो समझदार आदमी दिखाई देते हो, फिर भी मेरी चोट को देखकर हँस रहे हो?'

डायोजिनस बोले -'प्रियवर! तुम्हारी चोट के लिए तो हृदय से दुःखी हूँ। हँसी मुझे तुम्हारी चोट पर नहीं, बल्कि तुम्हारी बुद्धि के खोट पर आ रही है।'

'वह कैसे?' युवक ने पूछा।

'मैं जब से यहाँ बैठा हूँ, कम-से-कम दस युवक ठोकर खाकर गिर चुके हैं, किन्तु किसी ने भी पत्थर को सड़क से हटाकर दूर नहीं फेंका। तुम तो उनसे भी दो कदम आगे निकल गये। चोट भी खाई और गन्दी-गन्दी गालियाँ भी बक रहे हो।'

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book