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प्रेरक कहानियाँ

कन्हैयालाल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :35
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9712
आईएसबीएन :9781613012802

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मनोरंजक और प्रेरणाप्रद बोध कथाएँ


13. हौसला



एक फौजी-सिपाही लँगड़ा था। एक दिन उसकी टाँग को देखकर उसके साथी हँसने लगे तो उनकी हँसी-में-हँसी मिलाता हुआ वह बोला - 'मैं कमर कसकर युद्ध करने वाला बहादुर-सिपाही हूँ, पीठ दिखाकर भागने वाला कायर नहीं। मेरी टाँग को क्या देखते हो, टाँग तो केवल भागने के काम आती है। समय आने पर मेरे हौसले को देखना।'

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