कहानी संग्रह >> वीर बालक वीर बालकहनुमानप्रसाद पोद्दार
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वीर बालकों के साहसपूर्ण कृत्यों की मनोहारी कथाएँ
बालक
प्रताप के सामने सदा राणा साँगा का आदर्श रहता था। वे प्राय:
श्रद्धाञ्जलि
समर्पित करते समय कहा करते थे- 'मैं महाराणा साँगा के अधूरे कार्य को
अवश्य पूरा करूँगा। उनके दिल्ली-विजय-स्वप्न को सत्य में रूपान्तरित करना
ही मेरा जीवन-ध्येय है। वह दिन दूर नहीं है, जब दिल्ली का अधिपति साँगा
के
वंशज से प्राण की भीख माँगेगा।'
प्रताप
ने बचपन में ही यह सिद्ध कर दिखाया कि बाप्पा रावल की संतान का सिर किसी
मनुष्य के आगे नहीं झुक सकता। बालक प्रताप ने राज्य-प्राप्ति का नहीं,
देश
की बन्धन-मुक्ति का व्रत लिया था।
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