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वीर बालक

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :94
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9731
आईएसबीएन :9781613012840

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वीर बालकों के साहसपूर्ण कृत्यों की मनोहारी कथाएँ


शेर ने पृध्वीसिंह की ओर देखा। उस तेजस्वी बालक के नेत्रों को देखते ही एक बार वह पूँछ दबाकर पीछे हट गया, लेकिन शिकारियों ने बाहर से भाले की नोक से ठेलकर उसे उकसाया। वह शेर क्रोध में दहाड़ मारकर पृथ्वीसिंह पर कूद पड़ा। बालक पृथ्वीसिंह झटसे एक ओर हट गया और उसने अपनी तलवार खींच ली।

पुत्र को तलवार निकालते देखकर यशवन्तसिंह ने पुकारा- 'बेटा! तू यह क्या करता है? शेर के पास तो तलवार है नहीं, फिर तू उस पर क्या तलवार चलावेगा? यह तो धर्मयुद्ध नहीं है!'

पिता की बात सुनकर पृथ्वीसिंह ने तलवार फेंक दी और वह शेर पर टूट पड़ा। उस छोटे बालक ने शेर का जबड़ा पकड़कर फाड़ दिया और फिर शेर के पूरे शरीर को चीरकर दो टुकड़े करके फेंक दिया।

वहाँ की सारी भीड़ पृथ्वीसिंह का जय-जयकार करने लगी।

शेर के रक्त से सना पृथ्वीसिंह जब पींजड़े से निकला तो यशवन्तसिंह ने दौड़कर उसे छाती से लगा लिया।

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