कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 27 प्रेमचन्द की कहानियाँ 27प्रेमचंद
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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का सत्ताइसवाँ भाग
कल शाम को सेवती की तबीयत बहुत खराब हो गई। ज़ोर-ज़ोर से कराहने लगी। भोंदू घबड़ा गया। माँ-बाप से सुना था, ईश्वर बड़ा दयालु है, तो क्या वह एक बालक की प्रार्थना न सुनेगा?
ज्योंही मंदिर में आरती होने लगी, वह वहाँ गया और प्रतिमा के सामने भूमि पर सिर रखकर ईश्वर की प्रार्थना करने लगा, ''भगवान! तुम दयालु हो, दीन पर कृपा रखते हो। मेरी सेवती को जल्द अच्छा कर दो।''
समाप्त
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