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प्रेमचन्द की कहानियाँ 43

प्रेमचंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :137
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9804
आईएसबीएन :9781613015414

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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का तैंतालीसवाँ भाग


माइ डियर जोजेफ,
यह तुच्छ भेंट स्वीकार करो। भगवान करे तुम्हें एक सौ क्रिसमय देखने नसीब हों। इस यादगार को हमेशा अपने पास रखना और गरीब मैग्डलीन को भूलना मत। मैं और क्या लिखूं। कलेजा मुँह को आया जाता है। आय जोजेफ, मेरे प्यारे, मेरे स्वामी, मेरे मालिक जोजेफ, तू मुझे कब तक तड़पायेगा। अब जब्त नहीं होता। आंखों में आँसू उमड़े आते हैं। मैं तेरे साथ मुसीबतें झेलूंगी, भूखों मरूंगी, यह सब मुझे गवारा है, मगर तुझसे जुदा रहना गवारा नहीं। तुझे कसम है, तुझे अपने ईमान की कसम है, तुझे अपने वतन की कसम, यहां आ जा, यह आंखें तरस रही हैं, कब तूझे देखूंगी। क्रिसमस करीब है, मुझे क्या, जब तक जिन्दा हूं, तेरी हूं।

तुम्हारी
मैग्डल


मैग्डलीन का घर स्विट्जरलैण्ड में था। वह एक समृद्ध व्यापारी की बेटी थी और अनिन्द्य सुंदरी। आन्तरिक सौंदर्य में भी उसका जोड़ मिलना मुश्किल था। कितने ही अमीर और रईस लोग उसका पागलपन सर में रखते थे, मगर वह किसी को कुछ खयाल में न लाती थी। मैजिनी जब इटली से भागा तो स्विट्जरलैण्ड में आकर शरण ली। मैग्डलीन उस वक्त भोली-भाली जवानी की गोद में खेल रही थी। मैजिनी की हिम्मत और कुर्बानियों की तारीफें पहले ही सुन चुकी थी। कभी-कभी अपनी मां के साथ यहां आने लगी और आपस का मिलना-जुलना जैसे-जैसे बढ़ा और मैजिनी के भीतरी सौन्दर्य का ज्यों-ज्यों उसके दिल पर गहरा असर होता गया, उसकी मुहब्बत उसके दिल में पक्की होती गयी। यहां तक कि उसने एक दिन खुद लाज-शर्म को किनारे रखकर मैजिनी के पैरों पर सिर रख दिया और कहा- मुझे अपनी सेवा में स्वीकार कर लीजिए।

मैजिनी पर भी उस वक्त जवानी छाई हुई थी, देश की चिन्ताओं ने अभी दिल ठंडा नहीं किया था। जवानी की पुरजोश उम्मीदें दिल में लहरें मार रही थीं, मगर उसने संकल्प कर लिया था कि मैं देश और जाति पर अपने को न्यौछावर कर दूंगा। और इस संकल्प पर कायम रहा। एक ऐसी सुंदर युवती के नाजुक-नाजुक होंठों से ऐसी दरख्वास्त सुनकर रद्द कर देना मैजिनी ही जैसे संकल्प के पक्के, हियाब के पूरे आदमी का काम था। मैग्डलीन भीगी-भीगी आंखें लिए उठी, मगर निराश न हुई थी। इस असफलता ने उसके दिल में प्रेम की आग और भी तेज कर दी और गो आज मैजिनी को स्विट्जरलैंड छोड़े कई साल गुजरे मगर वफादार मैग्डलीन अभी तक मैजिनी को नहीं भूली। दिनों के साथ उसकी मुहब्बत और भी गाढ़ी और सच्ची होती जाती है।

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