कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 43 प्रेमचन्द की कहानियाँ 43प्रेमचंद
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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का तैंतालीसवाँ भाग
मैग्डलीन ने रोकर कहा- जोजेफ कुछ न निकला।
दोनों खामोश कई मिनट तक रोते रहे। आखिर आखिर मैजिनी बोला- तुम यहाँ कब आयीं, मेगा?
मैग्डलीन- मैं यहाँ कई महीने से हूँ, मगर तुमसे मिलने की कोई सूरत नहीं निकलती थी। तुम्हें काम-काज में डूबा हुआ देखकर और यह समझकर कि अब तुम्हें मुझ जैसी औरत की हमदर्दी की जरूरत बाकी नहीं रही, तुमसे मिलने की कोई जरूरत नहीं देखती थी। (रुककर) क्यों जोजेफ, यह क्या कारण है कि अकसर लोग तुम्हारी बुराई किया करते हैं? क्या वह अंधे हैं, क्या भगवान् ने उन्हें आंखें नहीं दीं?
जोजेफ- मेगा, शायद वह लोग सच कहते होंगे। फिलहाल मुझमें वह गुण नहीं हैं जो मैं शान के मारे अकसर कहा करता हूं कि मुझमें हैं, या जिन्हें तुम अपनी सरलता और पवित्रता के कारण मुझमें मौजूद समझती हो। मेरी कमजोरियां रोज-ब-रोज मुझे मालूम होती जाती हैं।
मैग्डलीन- जभी तो तुम इस काबिल हो कि मैं तुम्हारी पूजा करूं। मुबारक है वह इन्सान जो खुदी को मिटाकर अपने को हेच समझने लगे। जोजेफ, भगवान के लिए मुझे इस तरह अपने से मत अलग करो। मैं तुम्हारी हो गई हूं और मुझे विश्वास है कि तुम वैसे ही पाक-साफ हो जैसा हमारा ईसू था। यह खयाल मेरे मन पर अंकित हो गया है और अगर उसमें जरा कमजोरी आ गई थी तो तुम्हारी इस वक्त की बातचीत ने उसे और भी पक्का कर दिया। बेशक तुम फरिश्ते हो। मगर मुझे अफसोस है कि दुनिया में क्यों लोग इतने तंगदिल और अंधे होते हैं और खासतौर पर वह लोग जिन्हें मैं तंगखयाल से ऊपर समझती थी। रफेती, रसारीनो, पलाइनो, बर्नाबास यह सब के सब तुम्हारे दोस्त हैं। तुम उन्हें अपना दोस्त समझते हो, मगर वह सब तुम्हारे दुश्मन हैं और उन्होंने मुझसे मेरे सामने सैंकड़ों ऐसी बातें तुम्हारे बारे में कही हैं जिनका मैं मरकर भी यकीन नहीं कर सकती। वह सब गलत, झूठ बकते हैं, हमारा प्यारा जोजेफ वैसा ही है जैसा मैं समझती थी, बल्कि उससे भी अच्छा। क्या यह भी तुम्हारी एक जाती खूबी नहीं है कि तुम अपने दुश्मनों को भी अपना दोस्त समझते हो?
जोजेफ से अब सब्र न हो सका। मैग्डलीन के मुरझाये हुए पीले-पीले हाथों को चूमकर कहा- प्यारी मेगा, मेरे दोस्त बेकसूर हैं और मैं खूद दोषी हूं। (रोकर) जोजेफ जो कुछ उन्होंने कहा वह सब मेरे ही इशारे और मर्जी के अनुसार था, मैंने तुमसे दगा की मगर मेरी प्यारी बहन, यह सिर्फ इसलिए था कि तुम मेरी तरफ से बेपरवाह हो जाओ और अपनी जवानी के बाकी दिन खुशी से बसर करो। मैं बहुत शर्मिन्दा हूं। मैंने तुम्हें जरा भी न समझा था। मैं तुम्हारे प्रेम की गहराई से अपरिचित था, क्योंकि मैं जो चाहता था उसका उल्टा असर हुआ। मगर मेगा, मैं माफी चाहता हूं।
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