कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
बलराज ने जल का संकेत
किया। इरावती के
हाथों में तिलक ने जल का पात्र दिया। जल पीते ही बलराज ने आँखे खोलकर कहा-
इरावती, अब मैं न मरूँगा?
तिलक ने आश्चर्य से पूछा-
इरावती?
फिरोज़ा ने रोते हुए कहा-
हाँ राजा साहब, इरावती।
मेरी दुखिया इरावती? मुझे
क्षमा कर, मैं तुझे भूल गया था। तिलक ने विनीत
शब्दों में कहा।
भाई! - इरावती आगे कुछ न
कह सकी, उसका गला भर आया था। उसने तिलक के पैर
पकड़ लिये।
बलराज
जाटों का सरदार है, इरावती रानी। चनाब का वह प्रान्त इरावती की करुणा से
हरा-भरा हो रहा है; किन्तु फिरोज़ा की प्रसन्नता की वहीं समाधि बन गई-और
वहीं वह झाड़ू देती, फूल चढ़ाती और दीप जलाती रही। उस समाधि की वह आजीवन
दासी बनी रही।
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