कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
निवास कुछ बोलने ही को था
कि नीरा कह उठी—
बाबा, तुम मेरी चिन्ता न करो, भगवान् मेरी रक्षा करेंगे। निवास की
अन्तरात्मा पुलकित हो उठी।
बुड्ढे ने कहा— करेंगे
बेटी? उसके मुख पर एक व्याकुल प्रसन्नता झलक उठी।
निवास ने बूढ़े की ओर देख
कर विनीत स्वर में कहा— मैं नीरा से ब्याह करने
के लिए प्रस्तुत हूँ। यदि तुम्हें....
बूढ़े
को अबकी खाँसी के साथ ढेर-सा रक्त गिरा, तो भी उसके मुँह पर सन्तोष और
विश्वास की प्रसन्न-लीला खेलने लगी। उसने अपने दोनों हाथ निवास और नीरा पर
फैलाकर रखते हुए कहा- हे मेरे भगवान्!
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