कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
“श्रीनगर के पास ही मेरा
घर है।”
“यहाँ क्या करती हो?”
“नाचती हूँ। मेरा नाम
नूरी है।”
“काश्मीर जाने को मन नहीं
करता?”
“नहीं।”
“क्यों?”
“वहाँ
जाकर क्या करूँगी? सुलतान यूसुफ खाँ ने मेरा घर-बार छीन लिया है। मेरी माँ
बेड़ियों में जकड़ी हुई दम तोड़ती होगी या मर गयी होगी।”
“मैं कहकर छुड़वा दूँगा,
तुम यहाँ से चलो।”
“नहीं, मैं यहाँ से नहीं
जा सकती; पर शाहजादा साहब, आप वहाँ क्यों गये थे,
मैं जान गयी।”
“नूरी,
तुम जान गयी हो, तो अच्छी बात है। मैं भी बेड़ियों में पड़ा हूँ। यहाँ
अकबर के चंगुल में छटपटा रहा हूँ। मैं कल रात को उसी के कलेजे में कटार
भोंक देने के लिए गया था।”
“शाहंशाह को मारने के
लिए?”—भय से चौंककर नूरी ने कहा।
“हाँ नूरी, वहाँ तुम न
आती, तो मेरा काम न बिगड़ता। काश्मीर को हड़पने की
उसकी....”
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