कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
“नहीं’- कहते हुए रमला ने
अपने सिर का कपड़ा हटा दिया और युवक को आश्चर्य
से देखने लगी। युवक घबड़ाकर बोला- ”कौन? रमला?”
“हाँ, मञ्जल!”
युवक की साँस भारी हो
चली।
उसने कहा- ”रमला, मुझे
क्षमा करो, मैंने तुम्हें...”
“हाँ, धक्का देकर गिरा
दिया था। तब भी मैं बच गई।”
युवक ने सोये हुए मनुष्य
की ओर देखकर पूछा- ”वह तुम्हारा कौन है?”
रमला ने रुकते हुए उत्तर
दिया- ”मेरा-कोई नहीं।”
“तब भी, यह है कौन?”
“रमला झील का जल-देवता।”
युवक एक बार झनझना गया।
उसने पूछा-”तुम क्या फिर
चली जाओगी, रमला?”-उसके कण्ठ में बड़ी कोमलता थी।
“तुम जैसा कहो”- रमला
जैसे बेबसी से बोली।
युवक- ”अच्छा, जाओ पहले
नहा-धो लो”- कहता हुआ घोड़े पर चढक़र चला गया।
रमला सलज्ज उठी-गाँव की पोखरी की ओर चली।
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