कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
इतना कहते-कहते स्त्री का
गला अभिमान से भर आया और कुछ कह न सकी।
स्त्री
की कथा को सुनकर मोहनलाल को बड़ा दु:ख हुआ। रात विशेष बीत चुकी थी, अत:
रात्रि-यापन करके, प्रभात में मलिन तथा पश्चिमगामी चन्द्र का अनुसरण करके,
बताये हुए पथ से वह चले गये।
पर उनके मुख पर विषाद तथा
लज्जा ने
अधिकार कर लिया था। कारण यह था कि स्त्री की जमींदारी हरण करने वाले, तथा
उसके प्राणप्रिय पति से उसे विच्छेद कराकर इस भाँति दु:ख देने वाले
कुंदनलाल मोहनलाल के ही पिता थे।
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