लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824
आईएसबीएन :9781613015780

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

महात्मा गाँधी की आत्मकथा

लोकेशन की होली


यद्यपि बीमारों की सेवा-शुश्रूषा से मैं और मेरे साथी मुक्त हो चुके थे, फिर भी महामारी के कारण उत्पन्न दूसरे कामों की जवाबदारी तो सिर पर थी ही।

म्युनिसिपैलिटी लोकेशन की स्थिति के बारे में भले ही लापरवाह हो, पर गोरे नागरिकों के आरोग्य के विषय में तो वह चौबीसों घंटे जाग्रत रहती थी। उनके आरोग्य की रक्षा के लिए पैसा खर्च करने में उसने कोई कसर न रखी। और इस मौके पर महामारी को आगे बढ़ने से रोकने के लिए तो उसने पानी की तरह पैसे बहाये। मैंने हिन्दुस्तानियो के प्रति म्युनिसिपैलिटी के व्यवहार में बहुत से दोष देखे थे। फिर भी गोरो के लिए बरती गयी इस सावधानी के लिए मैं म्युनिसिपैलिटी का आदर किये बिना न रह सका, और इस शुभ प्रयत्न में मुझसे जितनी मदद बन पड़ी मैंने दी। मैं मानता हूँ कि मैंने वैसी मदद न दी होती तो म्युनिसिपैलिटी के लिए काम मुश्किल हो जाता और कदाचित वह बन्दूक के -- बल के उपयोग करती -- करनें में हिचकिचाती नहीं और अपना चाहा सिद्ध करती।

पर वैसा कुछ हो नहीं पाया। हिन्दुस्तानियो के व्यवहार से म्युनिसिपैलिटी के अधिकारी खुश हुए और बाद का कितना ही काम सरल हो गया। म्युनिसिपैलिटी की माँगो के अनुकूल बरताब कराने में मैंने हिन्दुस्तानियो पर अपने प्रभाव का पूरा पूरा उपयोग किया। हिन्दुस्तानियो के लिए यह सब करना बहुत कठिन था, पर मुझे याद नहीं पड़ता कि उनमें से एक ने भी मेरी बात को टाला हो।

लोकेशन के आसपास पहरा बैठ गया। बिना इजाजत न कोई लोकेशन के बाहर जा सकता था और न बिना इजाजत कोई अन्दर घुस सकता था। मुझे और मेरे साथियों को स्वतंत्रता पूर्वक अन्दर जाने के परवाने दिये गये थे। म्युनिसिपैलिटी का इरादा यह था कि लोकेशन में रहने वाले सब लोगों को तीन हफ्तो के लिए जोहानिस्बर्ग से तेरह मील दूर एक खुले मैंदान में तम्बू गाड़कर बसाया जाय और लोकेशन को जला दिया जाय। डेर तम्बू की नई बस्ती बसाने में और वहाँ रसद इत्यादि सामान पहुँचाने में कुछ दिन तो लगते ही। इस बीच के समय के लिए उक्त पहरा बैठाया गया था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book