लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824
आईएसबीएन :9781613015780

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

महात्मा गाँधी की आत्मकथा


पर जिसे राम रखे, उसे कौन चखे? मेरी निष्ठा शुद्ध थी, इसलिए अपनी गलतियों के बावजूद मैं बच गया और मेरे पहले अनुभव ने मुझे सावधान कर दिया।

उस रसोइये को शायद भगवान में ही मेरे पास भेजा था। वह रसोई बनाना नहीं जानता था, इसलिए वह मेरे यहाँ रह न सकता था। पर उसके आये बिना दूसरा कोई मुझे जाग्रत नहीं कर सकता था। वह स्त्री मेरे घर में पहली ही बार आयी हो, सो बात नहीं। पर इस रसोइये जितनी हिम्मत दूसरो को हो ही कैसे सकती थी? इस साथी के प्रति मेरे बेहद विश्वास से सब लोग परिचित थे।

इतनी सेवा करके रसोइये ने तो उसी दिन और उसी क्षण जाने की इजाजत चाही। वह बोला, 'मैं आपके घर में नहीं रह सकता। आप भोले भंडारी ठहरे। यहाँ मेरा काम नहीं।'

मैंने आग्रह नहीं किया।

उक्त मुहर्रिर पर शक पैदा करानेवाला यह साथी ही था, यह बात मुझे अब मालूम हुई। उसके साथ हुए अन्याय को मिटाने का मैंने बहुत प्रयत्न किया, पर मैं उसे पूरी तरह सन्तुष्ट न कर सका। मेरे लिए यह सदा ही दुःख की बात रही। फूटे बरतन को कितना ही पक्का क्यो न जोड़ा जाये, वह जोड़ा हुआ ही कहलायेगा, संपूर्ण कभी नहीं होगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book