लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824
आईएसबीएन :9781613015780

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

महात्मा गाँधी की आत्मकथा


लोगों के चहेरों पर से चिन्ता दूर हुई और उसी के साथ ईश्वर भी लुप्त हो गया ! लोग मौत का डर भूल गये और तत्काल ही गाना-बजाना तथा खाना-पीना शुरू हो गया। माया का आवरण फिर छा गाय। लोग नमाज पढ़ते और भजन भी गाते, पर तूफान के समय उनमें जो गंभीरता धीख पड़ी वह चली गयी थी !

पर इस तूफान में मुझे यात्रियों के साथ ओतप्रोत कर दिया था। कहा जा सकता हैं कि मुझे तूफान का डर न था अथवा कम से कम था। लभगभ ऐसे ही तूफान का अनुभव मैं पहले कर चुका था। मुझे न समुद्र लगता था, न चक्कर आते थे। इसलिए मैं निर्भय हो कर घूम रहा था, उन्हें हिम्मत बँधा रहा था और कप्तान की भविष्यवाणियाँ उन्हें सुनाता रहता था। यह स्नेहगाँठ मेरे लिए बहुत उपयोगी सिद्द हुई।

हमने अठारह या उन्नीस दिसम्बर को डरबन में लंगर डाला। 'नादरी' भी उसी दि पहुँचा। पर वास्तविक तूफान का अनुभव तो अभी होना बाकी था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book