लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824
आईएसबीएन :9781613015780

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

महात्मा गाँधी की आत्मकथा


सरकार उन्हें पकड़े बिना भला कैसे रहती? मोहनलाल पंडया और उनके साथी पकड़े गये। इससे लोगों का उत्साह बढ़ गया। जहाँ लोग जेल इत्यादि के विषय में निर्भय बन जाते है, वहाँ राजदंड लोगों को दबाने के बदले उनमें शूरवीरता उत्पन्न करता है। अदालत में लोगों के दल-के-दल मुकदमा देखने को उमड़ पड़े। मोहनलाल पंडया को और उनके साथियो को थोडे-थोड़े दिनो की कैद की सजा दी गयी। मैं मानता हूँ कि अदालत का फैसला गलत था। प्याज उखाडने का काम चोरी की कानूनी व्याख्या की सीमा में नहीं आता था। पर अपील करने की किसी की वृति ही न थी।

जेल जानेवालो को पहुँचाने के लिए एक जुलूस उनके साथ हो गया और उस दिन से मोहनलाल पंडया को लोगों की ओर से 'प्याजचोर' की सम्मानित पदवी प्राप्त हुई, जिसका उपभोग वे आज तक कर रहे है।

इस लड़ाई का कैसा और किस प्रकार अन्त हुआ, इसका वर्णन करके हम खेड़ा-प्रकरण समाप्त करेंगे।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book