स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक वनस्पतियाँ चमत्कारिक वनस्पतियाँउमेश पाण्डे
|
0 |
प्रकृति में पाये जाने वाले सैकड़ों वृक्षों में से कुछ वृक्षों को, उनकी दिव्यताओं को, इस पुस्तक में समेटने का प्रयास है
बाकुची (बावची)
विभिन्न भाषाओं में नाम-
संस्कृत - बाकुची, पुतिफली, कुषठहनी।हिन्दी - बकुची, बावची।
बंगाली - बुकचिदाना।
मराठी, गुजराती - बाबची।
अँग्रजी - पर्पिल फ्लीबेन (Puprple Fleabane) सोरिलिया सीड्स (Psorelea seeds)
लैटिन - (1) फल (बीज) सोरेलिया (Psorelea Semina)
(2) वनस्पति सोरेलिया Psoralea corylifolea L.
वनस्पतिक कुल - मटर कुल फैबीसी (Fabaceae)
बाकुची के पौधे 1 फीट से 4 फीट तक ऊँचे, सीधे खड़े, कोमल होते हैं जो कि वर्षायु होते हैं किन्तु इसे सावधानीपूर्वक रखने पर पौधे कुछ वर्षों तक जीवित रह सकते हैं। शाखाएँ अपेक्षाकृत कड़ी तथा पत्तियाँ ग्रन्थियुक्त होती है। पत्तियाँ गोलाकार तथा मजबूत होती हैं। पुष्प नीलापन लिए बैंगनी रंग के आते हैं जो पत्ती के नीचे 10-30 फूलों की वृत वाली डण्ठलों में निकलते हैं। फल के डण्ठल 1 इंच से 2 इंच लम्बे तथा छोटे-छोटे रोम वाले होते हैं। इन्हीं दण्डों पर छोटे-छोटे पुष्प उगते हैं। पुष्प का बाह्य दल छोटे-छोटे रोम वाला होता है। दल पुंज बाह्य कोष से दुगुना बड़ा, छोटी-छोटी फली वाला, काले रंग का लम्बा गोल व चिकना होता है। इसमें फलियाँ न टूटने वाली होती हैं तथा प्रत्येक में 1-1 बीज होता है इसमें ठण्ड के मौसम में फूल लगते हैं और गर्मी में फल लगते हैं।
|