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स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक वनस्पतियाँ

चमत्कारिक वनस्पतियाँ

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :183
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9829
आईएसबीएन :9781613016060

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प्रकृति में पाये जाने वाले सैकड़ों वृक्षों में से कुछ वृक्षों को, उनकी दिव्यताओं को, इस पुस्तक में समेटने का प्रयास है

औषधिक महत्त्व

(1) बच्चों के सूखा रोग पर- बच्चो के सूखा रोग पर इसकी पत्तियों को बंगला पान के पत्तों के साथ चटनी के समान पीसकर बच्चों की पीठ व भुजाओं पर मलने से उनके सूखा रोग के कीटाणु सतह पर आ जाते है, जिन्हें रेजर से काटा जा सकता है। (दाढ़ी बनाने जैसा)

(2) जलोदरपर- मकोई के पत्ती का काढ़ा 1-2 चम्मच देने से लाभ होता है।

(3) सूजन होने पर- सूजन होने पर पत्तियों को पीसकर हल्का गर्म करके लगाने से लाभ होता हैं।

(4) सन्निपात की स्थिति मे- सन्निपात में मकोई के रस में थोड़ा सा सिरका मिलाकर उसमें भिगोई हुई पट्टी सिर पर रखने से लाभ होता है।

(5) अण्डकोषों की सूजन पर- इसके पत्तों को गर्म करके बाँधना हितकर होता है।

(6) पेशाब रूक जाने पर- इसके पत्तों का काढ़ा मिट्टी के बर्तन में बनाकर अल्पमात्रा में उसका सेवन करने से परम उपकार होता है।

(7) चर्म रोगों पर- इसकी शाखाओं के अग्रभागों को पीसकर, गर्म करके लगाया जाता है।

वास्तु में महत्त्व

मकोय के पौधों का घर की सीमा में होना शुभ नहीं होता है।                          

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