स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक वनस्पतियाँ चमत्कारिक वनस्पतियाँउमेश पाण्डे
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प्रकृति में पाये जाने वाले सैकड़ों वृक्षों में से कुछ वृक्षों को, उनकी दिव्यताओं को, इस पुस्तक में समेटने का प्रयास है
कांचकी (कटुकरंजा)
विभिन्न भाषाओं में नाम -
संस्कृत - पूतिकरन्ञ, कण्टकिकरन्ञ, कुबेराक्ष।हिन्दी - करजुवा, कंजा, काँटाकरंज, जटार, सागर गोहा।
बंगला - नाटाकरंज।
मराठी - सागरगोटा।
गुजराती कांकच, कांचका।
फारसी - खाये इब्लोस।
अरबी - हज्त्रुल उकाव।
अँग्रेजी – बाँडुक नट (Bonduc Nut) फीवर नट (Fever Nut)
लैटिन - सेसालपीनिया क्रीस्टा Caesalpinia crista L.
वनस्पति - शिम्बी कुल (Leguminosae)
कुल - उपकुल सेसालपीनिएसी Caesalpiniaceae
इसके सघन एवं विस्तृत तथा कटीले तने होते हैं। इसकी शाखाएँ लम्बी और आरोहणशील होती हैं। इसकी शाखा, पत्रदण्ड तथा पुष्पदण्ड पर छोटे, कठोरता वाले पीले कांटे होने हैं। छोटी शाखाएँ घनाकार रोम वाली होती हैं। इनके पत्रकों के 6-10 जोड़े होते हैं। जो 1/2 इंच से 1 इंच तक होते हैं। ये आकार में आयताकार या अण्डाकार हाते हैं। ये अतिसूक्ष्म वृत वाले होते है। ये उपकक्षों पर अभिमुख क्रम से स्थित रहते हैं।
पुष्प हल्के पीले रंग के होते हैं। जो 6 इंच से 12 इंच लम्बे वृन्त पर होते हैं। फली का आकार सामान्यतया करसुफली जैसा होता है। फली काँटों से भरी रहती है। प्रत्येक फली में 1-2 बीज होते हैं, जो धूम्रवर्ण, गोल या अण्डाकार और कठोर आवरण वाले होते हैं। इनके पत्र एवं बीज की गिरी स्वाद में अत्यन्त कड़वी होती है किन्तु मूल एवं मूलत्वक कड़वी नहीं होती है। पुष्प वर्षा ऋतु में और फलियाँ जाड़ों में लगती हैं और इसी ऋतु में पकती हैं।
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