स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक वनस्पतियाँ चमत्कारिक वनस्पतियाँउमेश पाण्डे
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प्रकृति में पाये जाने वाले सैकड़ों वृक्षों में से कुछ वृक्षों को, उनकी दिव्यताओं को, इस पुस्तक में समेटने का प्रयास है
आयुर्वेदानुसार यह एक कफपित शामक, व्रणरोपण, दाहप्रशमन, छद्रिनिग्रहण, तृष्णानिग्रहण, रक्तस्तम्भक, रक्तशोधक, प्रजास्थापन, मूत्रल, कुष्ठघ्न, जीवनीय, विषघ्न आदि।
औषधिक महत्त्व
(1) शरीर में रक्त शोधन हेतु - दूब के पौधों को पीसकर उसका मात्र एक चम्मच रस रोजाना पीने से रक्त का शोधन होता है।
(2) सौन्दर्य हेतु - दूब के स्वरस को चेहरे पर लगाकर उसका हल्का सा मालिश करके 20 मिनट तक लगा रहने दें। तत्पश्चात् चेहरे को गुनगुने जल से धोने से चेहरा चन्द्रमा की भांति खिल उठता है।
(3) शरीर में दाह होने पर - दूर्वा के पंचांग को पीसकर सम्बन्धित स्थान पर लगाने से शरीर का दाह कम होता है।
(4) मूत्र विकारों में - दूर्वा के पचांग को पीसकर जल के साथ लेने से पेशाब खुलकर आता है।
वास्तु में महत्त्व
घर की सीमा में दूर्वा का होना बहुत शुभ माना जाता है।
धार्मिक महत्त्व
(1) दूर्वा हिन्दुओं में पूजन की क्रिया में एक प्रमुख अंग माना जाता है।
(2) गणेशजी को जो व्यक्ति नित्य 21 दूर्वा अर्पण करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है।
दूर्वा का एक दिव्य प्रयोग
समस्त ग्रहों की बाधा हरण हेतु यह एक दिव्य प्रयोग है। इस प्रयोग में एक मिट्टी की कोरी हाँडी लेकर उसमें 1 मुट्ठी भर चावल, एक मुट्ठी भर सरसों, एक मुट्ठी नागर मोथा, एक मुट्ठी सूखा आँवला, 21 नगदूर्वा, 21 नग तुलसी पत्र, 21 नग बिल्वपत्र तथा 2 गाँठ हल्दी लेकर उसे जल से भर दें। इस पर मिट्टी के बने ढक्कन को लगा दें। इसे किसी छायादार स्थान मे रख दें। रोजाना स्नान के जल में इस हाँडी के जल की एक कटोरी मात्रा डालें। हाँडी में उतना ही जल पुनः डाल दें। ऐसा 40 दिनों तक करें। 40 दिनों के बाद हाँडी का जल किसी वृक्ष में डाल दें।
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