| व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> हारिए न हिम्मत हारिए न हिम्मतश्रीराम शर्मा आचार्य
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प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने लोगों को जीवन की कठिन परिस्थितियों में किस प्रकार के आचार-विचार की आवश्यकता है, इसे एक माह की डायरी के रूप में बताया है।
    
    
दिनांक : 16
तुम सुख-दुःख की अधीनता छोड़ उनके ऊपर अपना स्वामित्व स्थापन करो और उसमें जो कुछ उत्तम मिले उसे लेकर अपने जीवन को नित्य नया रसयुक्त बनाओ। जीवन को उन्नत करना ही मनुष्य का कर्त्तव्य है इसलिए तुम भी उचित समझो सो मार्ग ग्रहण कर इस कर्त्तव्य को सिद्ध करो।
प्रतिकूलताओं से डरोगे नहीं और अनुकूलता ही को सर्वस्व मानकर न बैठे रहोगे तो सब कुछ कर सकोगे। जो मिले उसी से शिक्षा ग्रहण कर जीवन को उच्च बनाओ। यह जीवन ज्यों-ज्यों उच्च बनेगा त्यों-त्यों आज जो तुम्हें प्रतिकूल प्रतीत होता है, वह सब अनुकूल दीखने लगेगा और अनुकूलता आ जाने पर दुःख मात्र की निवृत्ति हो जावेगी।
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