लोगों की राय

कहानी संग्रह >> मनःस्थिति बदलें तो परिस्थिति बदले

मनःस्थिति बदलें तो परिस्थिति बदले

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :61
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9833
आईएसबीएन :9781613012833

Like this Hindi book 0

समय सदा एक जैसा नहीं रहता। वह बदलता एवं आगे बढ़ता जाता है, तो उसके अनुसार नए नियम-निर्धारण भी करने पड़ते हैं।

हेय स्तर में गिने जाने वाले पशु-पक्षियों को कोई नीति मर्यादा मान्य नहीं होती। गिद्ध, कौए और सियार कुछ भी पशुओं को न तो पत्नी और भगिनी-पुत्री के बीच अंतर करना आता है और न बीच चौराहे पर यौनाचार करने में कुछ अनुपयुक्त लगता है। इन प्राणियों को कहीं मल-मूत्र त्यागने में भी हिचक नहीं लगती। वे किसी का भी खेत खा सकते हैं। छोटे जल जंतुओं को बगुले बिना कोई दया भाव दर्शाए निःसंकोच भाव से निगलते रहते हैं। यह एक निराली दुनिया है और उसकी अपनी सीमाएँ हैं, पर मनुष्य तो कुछ विशेष उपलब्धियाँ लेकर जन्मा है। उसकी गरिमा को सृष्टि में सर्वोच्च ठहराया गया है। ऐसी दशा में उसके कंधों पर कुछ विशेष जिम्मेदारियाँ भी आती हैं और कड़ी मर्यादाओं का परिपालन एवं वर्जनाओं का अनुशासन भी आवश्यक हो जाता है।

किसी के पास तलवार होने का तात्पर्य यह तो नहीं कि वह कहीं भी कत्लेआम कर डाले? अतिरिक्त बुद्धिमत्ता का तात्पर्य यह तो नहीं हो सकता कि इसके सहारे संसार की सुव्यवस्था को  बर्बाद करके रख दें? अनीति बरतने के लिए उसे स्वेच्छाचार का लाइसेंस मिला हुआ नहीं है। इस स्तर की चतुरता अपना लेने का प्रतिफल यह तो नहीं होना चाहिए कि वह आत्मा और परमात्मा की आँखों में धूल झोंक कर, अहंकार से उन्मत्त होकर, अपने क्रिया-कलापों से वातावरण को उद्वेगों और अनाचारों से भर दे?

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book