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मूछोंवाली

मधुकान्त

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835
आईएसबीएन :9781613016039

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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से दो दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 40 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

भारतीय समाज में बहुत तेजी से परिवर्तन हो रहा है। विशेषकर ग्रामीण महिलाओं में अधिक चेतना व जागरूकता आयी है। महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में अपना प्रभाव जमाना चाहती हैं। आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक गतिविधियों में सहभागी बनकर नारी ने घर से बाहर निकलकर अपना प्रभाव जमाया है।

आधुनिक युग में इस बात का बहुत महत्व है कि उसको अपनी शक्ति और अपनी सम्पूर्णता का अहसास होना चाहिए। उनको पर्याप्त अवसर मिलने चाहिए ताकि सम्पूर्ण राष्ट्र विकास के रथ पर सवार होकर दौड़ने लगे।

वास्तव में आज प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है तथा सकारात्मक सोच के साथ एक सुखद स्थिति उत्पन्न हो रही है। नयी सदी में महिलाएं व पुरुष दोनों विकास के कंधों पर सवार होकर यात्रा करेगें ऐसी कल्पना की जाती है।

प्रस्तुत कहानी संग्रह ‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से दो दशक पूर्व घरके ड्राईंगरूम में सजी-धजी नारी चारदीवारी में कैद रहती थी तब उसका स्वरूप घूंघट में बंद था। पुस्तक के प्रथम भाग में घूंघटवाली नारी को चित्रित करने वाली लघुकथाएं हैं।

आज की नारी घर की चारदीवारी में कैद शोकेश से बाहर निकलकर, घूंघट को छोड़कर दुनिया को खुली आंखों से निहारने लगी हैं। वह अपनी स्मिता को पहचान कर आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बन, अपने पांवों पर खड़ी हो गयी है अर्थात् वह हौसलेवाली बन गयी है। पुस्तक के दूसरे भाग में वर्तमान समय में ‘हौसलेवाली’नारी की लघुकथाएं हैं।

भविष्य में दो दशक बाद नारी अपने अधिकारों और अपनी शक्ति के प्रति इतनी सचेत हो जाएगी कि स्वाभिमान में चूर अपनी मूंछों पर ऐंठन लगाने लगेगी। रानी लक्ष्मीबाई की भांति शौर्य से भरपूर अपनी मूंछों पर ताव चढ़ाकर दुश्मनों के साथ भिड़ जाएगी। तब वह बिना मूंछों के भी मूंछोंवाली बलशाली लगेगी। पुस्तक के तीसरे व अंतिम भाग में नारी के शौर्य व स्वावलम्बी होने की लघुकथाएं हैं इसलिए इस भाग का नाम ‘मूंछोंवाली’ रखा है।

वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं। आशा है नारी संसार पर केन्द्रित लघुकथाओं का संग्रह ‘मूंछोंवाली’ सुधी पाठकों को पसंद आएगा।

- मधुकांत
तिरंगा हाऊस
211-एल, माँडल टाउन,
रोहतक-124001(हरियाणा)

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